शुक्रवार, 23 जून 2017

आते जाते यूं ही मिला कीजिए






































आते जाते यूं ही मिला कीजिए
प्यार हो जाएगा सिलसिला कीजिए

चाहते हैं बुरेपन से बचना अगर
आईनों से बराबर मिला कीजिये

चाहते दोस्ती गर सलामत रहे
आमने सामने फिर गिला कीजिए

वक्त का क्या पता कब चटक जाए वो
अच्छे वक्त में झुककर मिला कीजिए

खिलते फूलों पर ही सबके रहती नजर
फूलों सा खिलखिलाकर मिला कीजिए

यूं उदासी से कुछ बात बनती नहीं
जब भी मिलिए हँस कर मिला कीजिए

यूँ जो जड़ होंगे तो काट देगा कोई
जान है आप में तो हिला कीजिए

कौन क्या है,कहाँ काम किससे पड़े
जो मिलता है अच्छा सिला कीजिये

जिंदगी का है क्या कल रहे ना रहें
आते जाते ‘पवन’ बस मिला कीजिए


पवन तिवारी 
poetpawan50@gmail.com
सम्पर्क- 7718080978

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें