सोमवार, 20 मार्च 2017

कुछ भी हो इस बार लिखूंगी जमकर प्रेम कहानियाँ

गीत


पहली बार बुन रही हूँ प्यार की कहानियाँ
हो ना जाए डरती हूँ कहीं नादानियाँ

क्या इस डर से छोड़ दूँ मैं रचनी प्रेम कहानियाँ
सुनती हूँ भरमा देती हैं कभी-कभी जवानियाँ

मिलती नहीं बार-बार ऐसी जिंदगानियाँ
कुछ भी हो इस बार लिखूंगी जमकर प्रेम कहानियाँ

फिर देखेंगे,भोगेंगे,जानेंगे परेशानियाँ
उम्र,मौसम,वक़्त भी है कर लें कुछ मनमानियाँ

क्या पता फिर जिन्दगी ना करे मेहरबानियाँ
वक़्त मेहरबां है तो बना लूँ उसको दिलजानियाँ

अपने जीवन की भी कुछ होनी चाहिए निशानियाँ
बच्चों को भी सूना सकूँ कुछ दिलकश प्रेम कहानियाँ

पवन तिवारी

सम्पर्क -7718080978


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