हिंदी बने भारत की राष्ट्रभाषा
मित्रों परसों अर्थात 1
अगस्त 2016 मुझे अचानक एक
अपरिचित व्यक्ति का फोन आया. उन्होंने कहा- मेरा
नाम बिजय
कुमार जैन है और मैं मराठी पत्रकार संघ में 3 अगस्त को दोपहर में एक संवाददाता
सम्मेलन कर रहा हूं. जिस का विषय है ''हिंदी बने भारत की राष्ट्रभाषा''.आप उसमें जरुर
आइये. मैंने कहा अवश्य आऊंगा. बात हिन्दी की जो है.इस सम्वाद से पहले मैं उन सज्जन को जानता भी नहीं था,
लेकिन मुझे सुनकर खुशी हुई कि एक व्यक्ति हिंदी के लिए विशेष प्रयास
कर रहा है. अपने जेब से पैसा खर्च करके मराठी पत्रकार संघ बुक किया
, उसका नाश्ता का खर्चा,
हाल का खर्चा वहन किया. सिर्फ इसलिए कि
हिंदी राष्ट्रभाषा बने. मुझे खुशी हुई. मैंने कहा मैं आऊंगा और मैं गया. क्योंकि
मुंबई में बारिश काफी हो रही है तो लोकल ट्रेन 45 मिनट लेट चल रही थी . 2.04pm की लोकल मुझे 2.44pm
पर मुलुंड से मिली और मैं 3.20 pm
पर जाकर मराठी पत्रकार संघ में उपस्थित हुआ. उस समय
वरिष्ठ पत्रकार और लोकसत्ता के संपादक
''कुमार केतकर'' जी बोल रहे थे. वहां जाकर पता
चला कि बिजय कुमार जैन
''मैं भारत हूं'' नाम की हिन्दी मासिक पत्रिका
निकालते हैं. उसी पत्रिका
और
हिंदी वेलफेयर ट्रस्ट के संयुक्त तत्वाधान में उन्होंने यह संवाददाता
सम्मेलन किया. मित्रों ऐसे लोगों को प्रोत्साहित करने की जरूरत है. एक
पत्रकार जो
हिंदी के लिए विशेष प्रयास कर रहा है.
उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री सहित सभी
प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों को उन्होंने पत्र लिखा है कि वे इस मुद्दे को अपनी
विधानसभा में उठायें और पास करें और भी तमाम प्रभावशाली लोगों को पत्र लिखकर हिन्दी
को राष्ट्र भाषा के रूप में संसद से पास कराने का निवेदन किया. वरिष्ठ पत्रकार कुमार केतकर ने भी कहा कि एक
राष्ट्रभाषा होनी चाहिए और एक राष्ट्रभाषा के तौर पर हम हिंदी का समर्थन करते हैं
भले ही हम मराठी भाषी हैं और हम जानते हैं कि मराठी का उतना विशाल फलक नहीं है .
हमारा हिंदी से कोई विरोध नहीं, हम हिंदी के समर्थन
में है बशर्ते कि मातृभाषा का सम्मान होना चाहिए. मातृभाषा फिर राष्ट्रभाषा और
वहां पर उपस्थित सभी पत्रकारों ने समर्थन किया. जिसमें मैंने भी अंत में अपनी बात
रखी. तो मित्रों मुझे लगता है कि जो भी हिंदी से प्यार करता है. जो भी अपने
राष्ट्र से प्यार करता है. जो स्वयं को राष्ट्रवादी कहता है. उसे भी हिंदी को
बढ़ावा देने के लिएसर्व प्रथम स्वजीवन की दैनिक दिनचर्या में हिन्दी का सतत प्रयोग करना चाहिए
. जैसे कि आप अगर सोशल मीडिया पर हैं तो अपनी बात हिंदी में रखें और कोशिश करें
देवनागरी में लिखें. दूसरी बात आप अपने हस्ताक्षर हिंदी
में करें.
यदि आप कहीं जाए किसी अधिकारी के कार्यालय में या और कहीं जहां आप को अपना परिचय लिखना हो,
तो कम से कम अपना नाम, अपना स्थान व
परिचय हिंदी में लिखें. ये छोटी चीजें हैं. पर इनका प्रभाव
दूरगामी है .
छोटी सी चीजें धीरे- धीरे बड़ी होती हैं. लोग प्रेरित होंगे.
अगर आपको बढ़िया अंग्रेजी का ज्ञान है और हिंदी का ज्ञान है. तो आप अंग्रेजी के
बदले हिंदी का प्रयोग करें. किसी भी
व्यक्ति से , जब भी वार्ता करें तो हिंदी में करें. जब तक कि यह आप को पता न चल
जाए कि उसे हिंदी नहीं आती है. आप बैंक में अपना हस्ताक्षर हिंदी में या अपनी
मातृभाषा में करें. क्योंकि हस्ताक्षर एक कैसी
चीज है. जो आप को एक अलग पहचान देती है. आप कहीं जाते हैं. तो लोग कहते हैं. अपना
हस्ताक्षर करिए. बैंक में आप बगैर हस्ताक्षर के पैसे नहीं निकाल सकते. आप कितने भी
बड़े आदमी क्यों न हों?
कितना
भी बड़ा पहचान पत्र आप दिखा दें. लेकिन जब तक आप चेक पर
हस्ताक्षर नहीं करते, तब तक आप को पैसा बैंक
नहीं देता. इसलिए हस्ताक्षर अपनी मातृभाषा या हिंदी
में करें .यह छोटी-छोटी चीजें हैं पर इनका दूरगामी प्रभाव है. विजय कुमार जैन का कार्य बड़ा और कठिन है. मैं चाहता हूं
कि लोग बिजय कुमार को प्रोत्साहित करें. उनके इस
अभियान में साथ दें. ''हिंदी वेलफेयर ट्रस्ट''
और ''मैं भारत हूं'' के बैनर तले जो अभियान
शुरु किया है उस में आप सब सहयोग दें. हिन्दी नये सर्वे और शोध
के अनुसार चीनी भाषा मंदारिन को पछाड़कर विश्व में सबसे अधिक बोली व समझे जाने वाली
भाषा बन गयी है
विजय कुमार जैन बहुत अच्छा कान कर रहे हैं, हम उनके साथ हैं।
जवाब देंहटाएंविजय कुमार जैन बहुत अच्छा कान कर रहे हैं, हम उनके साथ हैं।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
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