चवन्नी का मेला

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यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

गुरुवार, 24 मार्च 2016

चवन्नी का मेला: अठन्नी वाले बाबूजी पढ़कर प्रेमचंद की याद आ गई- शचीन्द्र त्रिपाठी

चवन्नी का मेला: अठन्नी वाले बाबूजी पढ़कर प्रेमचंद की याद आ गई- शचीन्द्र त्रिपाठी
पवन तिवारी पर मार्च 24, 2016
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जन्म-1982 अम्बेडकरनगर ,उत्तर प्रदेश. गत 18 वर्षों से मुंबई में निवास.12 वर्ष की उम्र से लेखन ,पहला

पवन तिवारी
12 वर्ष की उम्र से कविता , कहानी आदि का लेखन, विद्यालयीन प्रतियोगिताओं में भाषण गायन, अन्ताक्षरी, एकांकी आदि में प्रथम . लेखक ,पत्रकार, वक्ता, शोध कर्ता, कई पत्र ,पत्रिकाओं का सम्पादन, फिल्म लेखन, कई पुस्तकों का सम्पादन, आकाशवाणी पर महापंडित राहुल सांकृत्यायन पर विशेष वक्तव्य, देश के सबसे बड़े भजन संकलन भजन गंगा का अतिथि सम्पादन, इंडियन प्रेस कौन्सिल की पहली स्मारिका का सम्पादन आदि
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