शुक्रवार, 12 फ़रवरी 2016

जे एन यू के राष्ट्र द्रोहियों को उनकी औकात बताना जरुरी

22 दिसम्बर 1966 को स्थापित  जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय आज राष्ट्र विरोधी गतिविधियों का केंद्र बना हुआ है आज जो लोग जेएनयू के उन छात्रों की वकालत कर रहे हैं  जो भारत विरोधी आयोजन कर रहे थे  असल में ये भी पहले जेएनयूं  के छात्र रहे हैं और आज इनकी बोई हुई देश विरोधी फसल आज लहरा रही है  इनमें प्रकाश करात, सीताराम येचुरी, डी. पी. त्रिपाठी, आनंद कुमार, चंद्रशेखर प्रसाद आदि प्रमुख हैं। जेएनयू छात्र राजनीति पर शुरू से ही वामपंथी छात्र संगठनों ऑल इंडिया स्‍टडेंट्स एसोसिएशन(आइसा), स्‍टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एस.एफ.आई.) आदि का वर्चस्व रहा है। वर्तमान में केद्रीय पैनल के चारों सदस्य उग्र वामपंथी छात्र संगठन ऑल इंडिया स्‍टडेंट्स एसोसिएशन से संबंधित हैं। आज इसीलिये येचुरी मीडिया में देशद्रोहियों के पक्ष में  बिना सत्य जाने बोले जा रहे थे.
नेहरूवादियों द्वारा कहा जाता रहा है कि जेएनयू की स्थापना  अध्ययन, अनुसंधान और अपने संगठित जीवन के उदाहरण और प्रभाव द्वारा ज्ञान का प्रसार - राष्ट्रीय एकता, सामाजिक न्याय, धर्म निरपेक्षता, जीवन की लोकतांत्रिक पद्धति, अन्तरराष्‍ट्रीय समझ और सामाजिक समस्याओं के प्रति नेहरू के वैज्ञानिक दृष्टिकोण के प्रसार के लिए किया गया.
नेहरू के हिन्दू चीनी भाई - भाई के दूरदर्शिता का परिणाम 1962 में भारत ने कभी न भूलने वाली दर्दनाक कीमत चुकाई. नेहरू  की अन्तर्राष्ट्रीय समझ की ही देंन है  कि  जो कश्मीर भारत गले का हार बनना  चाह रहा था उसे नेहरु ने गले की फांस बना दिया. नेहरू के सामाजिक न्याय का ताज़ा उदाहरण उनके नेता जी के बारे लिखे पत्रों से पता चला कि आज़ाद हिन्द फ़ौज के खजाने को लूटने वाले को नेहरु ने  प्रचार अधिकारी बना कर सम्मानित किया था . ऐसे विचारों वाले व्यक्ति के नाम पर केन्द्रीय विश्वविद्यालय  देश के साथ क्रूर मजाक है . सुब्रमण्यम स्वामी ने सही ही कहा कि जे एन यू का नाम बदलकर सुभाषचंद्र बोस विश्वविद्यालय कर देना चाहिए .

 फिलहाल देशद्रोह के मामले में गिरफ्तार JNU छात्रसंघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार को अदालत ने तीन दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया है। कन्हैया को शुक्रवार को अदालत में पेश किया गया। अदालत  में मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट लवलीन  ने कन्हैया से पूछा तुम्हें कौन सी आजादी चाहिए ?  तो उसकी बोलती बंद हो गई इस सवाल पर वह चुप रहा।
संसद पर हुए आतंकी हमले में शामिल जम्मू-कश्मीर के अफजल गुरु को फांसी दे दी गई थी। इस आतंकी की पैरोकारी जवाहरलाल नेहरू युनिवर्सिटी में 9 फरवरी के दिन की गई। 9 फरवरी को यह सारा मामला JNU में आतंकी अफजल गुरु के मृत्यु दिवस को शहादत दिवस के रूप में मनाने के बाद से ही शुरू हुआ. जब ये बात  भाजपा सांसद महेश गिरि  को पता चली तो भाजपा सांसद महेश गिरि ने वसंत कुंज थाने में कल भादंसं की धारा 124 ए (देशद्रोह) और 120 बी (आपराधिक षड्यंत्र) के तहत अज्ञात लोगों पर मामला दर्ज किया गया था। पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, मामले के सिलसिले में कन्हैया कुमार को गिरफ्तार किया गया है पर और दर्जनों देश द्रोही जो कैमरे में भारत विरोधी नारे लगाते दिखाई दे रहे हैं वे क्यों गिरफ्तार नहीं किये गये .हर सच्चे भारतीय के मन में चुभ रहा है . ये अब छात्र कहलाने योग्य नहीं हैं. ये राष्ट्र द्रोही हैं . इन्हें बिना देर किये जेल में डाल देना चाहिए .इनकी अब तक हासिल की गई शैक्षणिक योग्यता  को अमान्य कर दिया जाना चाहिए और बिना देर किये इनके समर्थन में नारे लगानेवालों को तत्काल जेएनयू से निष्कासित कर देना चाहिए ताकि भविष्य में दुबारा कोई भारत विरोधी गतिविधि करने से पहले हजार बार सोंचे. बिना तथ्य को जाने  इनका समर्थन करने वाले नेताओं को भी हिरासत में लेकर पूछताछ करनी चाहिए.देशद्रोही को समर्थन करनेवाला भी अपराधी होता है .ऐसे मसलों पर छुद्र राजनीति करनेवाले नेताओं को भी सबक सिखाना जरूरी है .
विश्वविद्यालय प्रशासन  की भी जाँच होनी चाहिए.  जिसने राष्ट्र विरोधी आयोजन की अनुमति दी और यदि नहीं दी तो फिर आयोजन हुआ कैसे . इसमें विश्वविद्यालय के कुछ लोग भी शामिल हों तो भी ताज्जुब नहीं......
 हिन्दी तहलका में एक कोई  श्रीमान कृष्णकांत  हैं  उन्होंने इस विषय पर एक लेख लिखा है  उसका एक अंश देखिये ...       ''जेएनयू के कुलपति सुधीर कुमार सोपोरी से एक बार एक साक्षात्कार में पूछा गया कि जेएनयू में खास क्या है? उनका जवाब था, ‘यहां का माहौल और खुली सोच इस विश्वविद्यालय की ताकत है. आप को कहने और सुनने की क्षमता मिलती है. यहां के शिक्षकों और विद्यार्थियों के बीच एक संबंध है. कई छोटी जगहों और पिछड़े तबके के छात्रों से मिलना बहुत भावुकता भरा होता है. कई छात्र कहते हैं कि जेएनयू नहीं होता तो हम पढ़ नहीं पाते. अगर शांति भंग न हो तो यहां आपको जो विचार-विमर्श करना है कीजिए. हमें कोई समस्या नहीं. हमें विभिन्न अनुशासनों की दीवारें तोड़नी होंगी,  कुलपति महोदय अपने साक्षात्कार में ''अनुशासनों की दीवारें '' तोड़ने की बात करते हैं  .सोंचने वाली बात है जहाँ के कुलपति की सोंच ऐसी हो उस संस्थान का क्या हाल होगा . जे एन यू के पैरोकार कहते हैं  इसने दुनिया में भारतीय प्रतिभा का डंका बजाया है . जे एन यू  भारतीय शिक्षा का डंका दुनिया में बजाता है.  इन अंधे पैरोकारों को एक बार काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की तरफ देखना चाहिए सारे भ्रम दूर हो जायेंगे .
जनवरी १९१६ ई. (वसंतपंचमी) काशी हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना हुई. उसके  कई छात्र आगे चलकर जे एन यू में प्राध्यापक हुए. बी एच यू के कुछ महान छात्रों के नाम देखिये भारत रत्न से लेकर पद्म पुरस्कार व मैग्सेसे से सम्मानित हुए. उन्होंने कभी ऐसी राष्ट्र विरोधी कृत्य नहीं किया .
 शांति स्वरूप भटनागर,,बीरबल साहनी -- अंतरराष्ट्रीय ख्याति के पुरावनस्पति वैज्ञानिक,जयन्त विष्णु नार्लीकर,सी एन आर राव-वैज्ञानिक, भारत रत्न से सम्मानित,हरिवंश राय बच्चन,भूपेन हजारिका, गायक एवं संगीतकार,प्रोफ. टी आर अनंतरामन,अहमद हसन दानी, पुरातत्व विद्वान एवं इतिहासकार,लालमणि मिश्र संगीतकार,प्रकाश वीर शास्त्री, भूतपूर्व सांसद आर्य समाज आंदोलन के प्रणेताओं में से एक,आचार्य रामचन्द्र शुक्ल,  आचार्य हजारी प्रसाद ,हिन्दी साहित्य के प्रमुख स्तंभों में से एक एवं इतिहासकार,रामचन्द्र शुक्ल, चित्रकार,एम एन दस्तूरी, धातुकर्म के विद्वान,नरला टाटा राव,सुजीत कुमार - अभिनेता,समीर - गीतकार,मनोज तिवारी - भोजपुरी अभिनेता,मनोज सिन्हा-वर्तमान रेल राज्य मंत्री,माधव सदाशिव गोलवलकर (गुरु जी) - आरएसएस के द्वितीय सरसंघचालक,बाबू जगजीवन राम - भारत के पूर्व उप प्रधानमंत्री,अशोक सिंघल - विश्व हिन्दू परिषद के भूतपूर्व अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष ,संदीप पाण्डेय,  मन्नू भंडारी, विश्वेश्वर प्रसाद कोइराला, राम मनोहर लोहिया, सर्वेश्वरदयाल सक्सेना, जानकी वल्लभ पटनायक,वैज्ञानिक जयंत नार्लिकर,  भारत सरकार के वैज्ञानिक सलाहाकार पी. रामा राव,  ऑयल एंड. नेचुरल गैस कमीशन के चेयरमैन बी.सी. बोरा, एशिया ब्राउन बावेरी के सीएमडी के. एन. शिनॉय, पंजाब नेशनल बैंक के सीएमडी एस. एस. कोहली सरीखे लोग विश्वविद्यालय के छात्र रहे हैं। कितने नाम गिनाऊँ ......... यूएसए, यूके, कनाडा, जर्मनी, आस्ट्रिया, आस्ट्रेलिया, इराक, इरान, चिलि, पोलेण्ड, गिरि, यूव्र ेन, रसियन, बंग्लादेश, नेपाल और इस्टोनिया इत्यादि सहित ६० देशों के विदेशी छात्रगण विश्वविद्यालय में अध्ययन प्राप्त कर रहे हैं। विदेशी छात्रों को उपयुक्त कार्यक्रम एवं तार्वि क मामलों के चयन में एक अन्तर्राष्ट्रीय छात्र केन्द्र सहायता प्रदान करता है। अफ़जल को शहीद बतानेवालों, इण्डिया में रहकर इण्डिया गो बैक कहने वालों, भारत के टुकड़े करने वालों, हजारों अफ़जल पैदा करने की मंशा रखने वालों को उनकी औकात  बिना देरी किये वर्तमान सरकार को बतानी होगी . हर सच्चे भारतीय की आज यही आवाज़ है . जय हिन्द

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें