शनिवार, 29 अप्रैल 2023

दर्द अंदर है अधर पे है हँसी



दर्द अंदर है अधर पे है हँसी

ज़िन्दगी इस तरह अधर में फँसी

दर्द  को  मैं  उछालना चाहूँ

किंतु अंदर के भी अन्दर है धँसी

 

प्रेम में खुद को बाँधना चाहा

प्रेम पथ पर ही नाधना चाहा

फिर भी दुःख हाय छोड़ता ही नहीं

अनेक  यत्न  साधना चाहा

 

हँसते चेहरे पे उदासी छायी

ये कला ठीक से नहीं आयी

लोग  कैसे  बदल रहे चहरे

ये कला हमने क्यों नहीं पायी

 

रोज गिरते हैं  रोज उठाते हैं

बिन अपराध के भी पिटते हैं

कैसे - कैसे  अजूबे  होते हैं

घर के ही लोग मुझसे चिढ़ते हैं

 

पवन तिवारी

२६/०४/२०२३   

शनिवार, 1 अप्रैल 2023

आओ बच्चों तुम्हें सिखाऊँ



आओ  बच्चों  तुम्हें सिखाऊँ

खुशियों  के कुछ राज़ बताऊँ

किसको  मेरी   बातें  सुननी

जल्दी  बोलो,  चलो   सुनाऊँ

 

सबसे  पहले   करो   पढ़ाई

पाटेगी  हर  दुःख  की खाई

इससे  उल्लू   नहीं   बनोगे

यह  अच्छे  - अच्छों की माई

 

आगे  जीवन  बड़ा  जटिल है

पग-पग पर मिलती मुश्किल है

आगे   स्वार्थ   की  आरी है

जलवायु  की  जो  कातिल है

 

ख़ुशियों के यदि संग  रहना है

सुनो  प्रदूषण  कम  करना है

चाह  रहे  यदि   उत्तम  वर्षा

वन तरु का भी ध्यान रखना है

 

जीवन  का  यदि  चाहो भोग

करना  होगा  प्रतिदिन  योग

सूर्योदय   से   पहले  उठना

स्वास्थ्य का सबसे उत्तम जोग

 

घर का ताज़ा भोजन खाओ

समुचित तन में ऊर्जा पाओ

बहु  रोगों  का  एक शत्रु है

प्रातः काल   दौड़   लगाओ   

 

पवन तिवारी

सम्वाद - ७७१८०८०९७८

०१/०४/२०२३